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पिंजड़I

ये है एक लड़की रूपा की कहानी, सुनहरे सपनो से भारी एक भरे पूरे परिवार मे पली रूपा, बेबाक और सच्ची, सबको प्यार करने वाली. उसका स्वाभाव ही ऐसा था था की जो कोई भी मिलता है, वो ही उसका दोस्त बन जाता था , फिर चाहे वो बच्चा हो या बूढ़ा. रूपा का परिवार बहुत ही बड़ा था, चार मजिला बिल्डिंग के उसके दादाजी के घर पर;  वो और उसके मम्मी पापा, बड़ा भाई और छोटी बहेन  के साथ सबसे  नीचे वाले फ्लोर पर अपने दादा दादी के साथ रहती थी. उसके उपर की मजिलो पर उसके एक तायु और एक पर उसके चाचा का परिवार  रहता था. उसके तायु के चार और चाचा के तीन बच्चे थे. इसलिए बहुत बड़े परिवार मे रहती थी जहा सब उसे प्यार करते थे, उसके दोस्त भी काफ़ी थे. ग्रॅजुयेशन ख़तम होने को था इसलिए parents ने शादी के लिए लड़के देखना शुरू कर दिया था. किसी जान पहचान के ज़रिए लॅंडन मे रहने वाले लड़के से बात चली और शादी भी तै  हो गयी . सारी लड़कियो की तरह इसके भी शादी को लेकर कुछ ख्याब थे, वो भी अपनी नयी ज़िंदगी के नये नये सपने बुन रही थी. कुछ महीनो बाद उसकी शादी भी हो गयी और वो शादी करके लॅंडन आ गयी. 2 बेड रूम का सुंदर सा घर मे आकर रहने लगी.