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ओस की बूंदे

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   संजय अभी अभी अमेरिका से आया था और डॉलर एक्सचेंज करने के लिए बैंक गया, वहा एक बहुत पुराना दोस्त शशांक टकरा गया. शशांक, " अरे संजय, कैसे हो ? बड़े दिनो बाद दिखाई दिया." दोनो ने हाथ मिलाया फिर संजय ने जवाव दिया, " हा अभी दो दिन पहले ही अमेरिका से आया हू, मेरे पास तो सिर्फ़ हज़ार ने नोट थे जो की बंद हो गये तो डॉलर्स को चेंज करने आया था और तुम सुनायो तुम कैसे हो और घर मे सब कैसे है? शशांक ने उत्तर दिया, " सब ठीक है, मैं भी यही दिल्ली मे एक प्राइवेट कंपनी मे काम कर रहा हू. बस लाइफ बिज़ी हो रखी है और तुम तो प्राइवेट कंपनी के कम का तरीका जानते हो." संजय मे सिर हिलाते हुए उसकी हा मे हा मिलाई. शशांक ने फिर से पूछा, " तुम्हारा क्या प्लान है, अमेरिका मे ही सेट्ल होना है या फिर बIपस आना है?" संजय मे आराम से जवाव दिया, "नही अभी तो जाब और रिसर्च दोनो मे बिज़ी हू, अभी रिसर्च मे एक साल और बाकी है, फिर देखता हू क्या करना है. और तुम्हारी शादी वादी हुई या नही?" शशांक मुस्कुराते हुए बोला," हा शादी को अभी ६ महीने हुया है." संजय उसे चिड़ते हुए बोला

ये दोस्त

दोस्तो के साथ लिखी वो छोटी सी कहानियाँ, खट्टी मीठी सी वो प्यार की जुवनिया/ कभी लड़ना, कभी झगड़ना फिर कभी हँसते खिलखिलते रस्तो की वो कहानिया/ भूल कर भी जिन्हे भूल नही पाते, वो बचपन के मासूम दोस्तो के साथ बीती अनकही सी रहगुजारियाँ/ आज बैठकर सोचती हूँ तो लगता हैं काश मिल जाए फिर से वो मस्ती मे डूबी हसीन सी शैतानिया/ ज़िंदगी के भागते हुए रस्तो मे, काश मिल जाए फिर से वो रातो की खामोशियो मे खोई हुई सी दीवानिया/ काश फिर से मिल जाए सपनो मे खोई वो दोस्तो की आँखों की ईमानदरिया, काश फिर से मिल जाए वो मुस्कुराते चाहेरो की आनदेखी सी परेशानिया/ हम भी बदल गये , वक्त भी बदल गया, दोस्तो की ईमानदरिया भी बदल गयी/ पढ़े तो हम सब साथ ही थे पर पता नही कहा से आ गयी विचारो की ये दूरिया/ कभी मिलेगें तो पूछेगे ज़रूर, काहा है मेरे दोस्त की वो प्यारी दिलफेक़ गुस्ताखिया/