पहला प्यार



                                                        पहला प्यार

स्वाती एक बहुत ही सीधी,सादी नादान सी लड़की थी. बड़ी बड़ी आँखे और मासूम सा चेहरा;   वो भी जवानी की उस दहलीज़ पर कदम रख चुकी थी ,जॅहा लड़को से बात करने मे डर भी लगता था और खुशी भी मिलती थी / वो पहली बार अपने मम्मी पापा के बिना ट्रेन मे सफ़र कर रही थी. स्वाती अपनी बचपन की सहेली सीमा के घर उसकी बहन की शादी मे जा रही थीसीमा और स्वाती बहुत ही पक्के दोस्त थी. स्वाती के पापा का कानपुर transfer होने की वजह से वो अलीगढ़ को छोड़ कर चली गयी थी. सीमा के घर मे भी स्वाती को सब बहुत पसंद करते थे. स्वाती सीमा से मिलने के लिए बहुत ही बेताब थी और मम्मी - पापा की नज़ारो की scanning के बिना 5 दिन सीमा के साथ बिताने की भी खुशी उसके चहरे पर झलक रही थी.
      स्वाती जब सीमा के घर  पहुची तो सीमा ने उसे गले लगा लिया और घर मे आए सभी अपनी उमर की cousins  मे मिला दिया ताकि वो बोर ना महसूऊस करे ,अगर सीमा बिज़ी हो. सीमा cousin मे एक बहुत ही हाइ फ़ाई लड़की थी, rich family से थी, देखने मे भी अच्छी थी. स्वाती ये देख कर हैरान थी उसके पास मेकप का सारा समान था. उसका लहँगा भी बहुत सुन्दर था, स्वाती तो अपनी एक cousin से लहँगा माँग कर लाई थी; मेकप के नाम पर बस लिपस्टिक, बिंदी ही थी उसके के पास. वो उसको तैयार होते देख जल रही थी कियोकि पता था सारे लड़के ईसे ही देखने वाले है, उसे नही पता था की उसकी natural सुंदरता के आगे तो उस लड़की का मेकप भी फीका था.
सारी लड़किया पंडाल मे पहुच जाती है ,एक टेबल घेर लेती है. बारात को आने मे देर थी, ईसलिए सब Orchestra का मज़ा ले रही थी. सीमा के घर सब बहुत गाना गाते थे, सीमा एक singing ग्रूप का हिस्सा थी. सीमा भी गाना गाती है; स्वाती सब चीज़ो का आनंद ले रही थी. तभी Orchestra मे से एक स्मार्ट सा लड़का सीमा से बात करने के लिए उन लोगो के पास आता है; वो सीमा के सिंगिंग ग्रूप का साथी था, उसके भाई का ही Orchestra था, लेकिन ईस शादी मे वो ही सब संभाल रहा था, उसकी आवाज़ मे जादू था, सारी लड़किया उसी पर नज़ारे टीका कर बैठी थी.
वो वहा उन लड़कियो के पास बैठता और सीमा से इंतज़ाम के बारे मे पूछता है. उसका नाम अमित था. सीमा मेरा इंतज़ाम अच्छा  है ना, सीमा जवाब देती है और अपनी cousins और स्वाती से उसका परिचाई करवाती है. सारी लड़किया अमित की तारीफ करती है, उसकी आवाज़ की तारीफ करती है, स्वाती चुप थी,टेबल को निहार रही थी, कियोकि उसको देख कर उसकी भी धड़कने बढ़ी हुई थी, अमित भी सब से नज़ारे बच बचा कर उसे ही देख रहा था, उसकी सुंदरता पर वो मोहित हो गया था, उसकी आवाज़ सुनने की ईच्छा से वो सीमा से पूछता है, " तुम्हारी सहेली को शायद मेरी आवाज़ ज़्यादा पसंद नही आई ? सीमा ने कहा, " किसको स्वाती को, आई है बस बोल नही रही है" स्वाती ने नज़ारे उठा कर उसको देखा, उसने फिर छेड़ा, कुछ कहा नही इन्होने/ सीमा ने स्वाती के हाथ पर हाथ रखा और कहा, " बता दो स्वाती वर्ना ये बुरा मान जाएगा, तभी सीमा को किसी ने आवाज़ लगाई और वो उठ कर चली गयी. स्वाती ने अपनी धीमी सी आवाज़ मे कहा, " हा गाना तो आप अच्छा गाते ही है Dance भी अच्छा करते है" ये सुन कर अमित ज़ोर से हंसा और वोला , " अच्छा ये बात है, मैं  यूही कर रहा था, आपको अच्छा लगा ये जानकर खुशी हुई."
सीमा अपनी बहन को लेकर रही थी ;जैमाल के लिए तो सब लोग उठ जाते है और अमित गाना गाने चला जाता है. लेकिन अमित को शiयद love at first sight हो गया था,  वो सारे गाने बस स्वाती को देख कर ही गा रहा था, लेकिन स्वाती को ईस बात का अहसास नही था. अमित उससे बात करने के लिए बैचन था.
सारे कार्यक्रम ख़तम होने के बाद सीमा अपनी दीदी को अंदर ले जाने के लिए स्वाती को बुलाती है. स्वाती उनके साथ जा रही थी तभी उसका  लहँगा पैर मे फसता है वो दीदी का हाथ छोड़ कर संभालती है, तभी सामने से अमित अकर घीरे से उसका हाथ पकड़ कर उसके कान मे कहता है, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, स्वाती अचंभित होकर उसे देखती है, उसे कुछ समझ नही आता है की ये क्या हो रहा है, इससे पहले की वो समझ पाती, सीमा उसे आवाज़ देकर बुला लेती है. अमित उसे खड़े देखता रह जाता है/
             कुछ समय बाद सारी लड़किया छत पर मंडप के कार्यक्रम के लिए बैठ जाती है. सब आपस मे उसके बारे मे बात कर रही थी. स्वाती चुपचाप अपनी भावनायो को समझने की कोशिश कर रही थी, उसे लग रहा था जो कुछ भी हुआ वो एक सपना था. तभी नीचे से कोई स्वाती को आवाज़ देता है. स्वाती तुम्हारे लिए फोन है. स्वाती बिना सोचे समझे भाग कर जाती है उसे लगता है की उसके घर से फोन होगा और वहा बैठे सभी को यही लगता है. जिस कमरे मे फोन था वही पर सब लोग मौजूद थे; सीमा के मम्मी पापा, दीदी, कई relatives और सीमा भी. उसकी दीदी को मंडप के लिए तैयार कर रहे थे. स्वाती फोन के पास पहुचने ही वाली थी तभी सीमा के पापा घड़ी मे टाइम देखते है, रात के तीन बज रहे थे, उनको कुछ क्लिक होता है और फोन वो उठा लेते है,
हेलो कौन बोल रहा है, दूसरी तरफ से अमित वोला " जी मैं अमित बोल रहा हू क्या स्वाती से बात हो सकती है" सीमा के पापा ने गुस्से मे जवाव दिया, स्वाती बिज़ी है, शादी का घर है, परेशन मत करो और दुबारा फोन भी मत करना वेर्ना" और वो फोन नीचे रख देते है. स्वाती स्तब्ध सी खड़ी थी, सीमा के पापा उसकी तरफ़ देख कर बोलते है, तुम्हारे घर से नही था तुम जायो. स्वाती सिर हिलती और चुपचाप चली जाती है. थोड़ी देर बाद सीमा वहा आकर बताती है की अमित ने स्वाती से बात करने के लिए फोन किया था, सारी लड़किया चौक जाती है, स्वाती घबरा जाती है और उसकी आँखे नम हो जाती है. सीमा" अरे तुम घबरायो नही हम सब है ना तुम्हारे साथ, सीमा अपनी एक कज़िन को स्वाती के लिए पानी लाने भेजती है, जब वो पानी लेने जाती है तभी नीचे देखती है, अमित अपनी बाइक पर घर के सामने बैठा था ; वो भाग कर सीमा को बताती है, सारी लड़किया उसे देखने चली जाती है, स्वाती भी सबसे पीछे खड़े होकर देखती है. सीमा सब को बुला कर कहती है ज़्यादा ध्यान मत दो, चलो हटो. सारी लड़किया स्वाती को छेड़ती है,"   हाय काश मेरे पीछे आता, स्वाती ये तो तेरे लिए पागल हो गया है. स्वाती भी मन ही मन मुस्कुराती है. सीमा के पापा भी उसे देख लेते है और उसे वहा से भेज देते है. अमित अपने घर जाकर दूसरे दिन स्वाती से मिलने के सपने देखते हुए सो जाता है.

                            शादी ख़तम होने के बाद ,दूसरे दिन सीमा के घर पर भी सब सो जाते है. लगभग सारे रिस्तेदार चले जाते है, शाम को सीमा और स्वाती छत पर खड़े होकर बात कर रहे थे तभी सीमा अमित को नीचे खड़ा पाती है. " ओह हो ये फिर गया, ये मानेगा नही. स्वाती पलट कर देखती है, अमित हाथ हिलाकर हेलो बोलता है. स्वाती वहा से हट जाती है, सीमा भी उसके पीछे जाती है, सीमा स्वाती को नीचे बैठने को कहकर अमित से बात करने चली जाती है/
सीमा, "कियो तंग कर रहे हो मेरी सहेली को"  
अमित, " प्लीज़ यार एक बार बात करा दे, तुझे पता है, मैं लड़कियो के पीछे भागने वालो मे से नही हू. उसे देखते ही पता नही क्या हो गया, वो मेरे दिल् मे बस गयी, प्लीज़ सीमा एक बार मिलवा दो."
सीमा," ह्--, love at first sight, पहला प्यार हो गया है तुम्हे, " अमित," शायद, बस किसी तरह मिलवा दे," सीमा ," ठीक है मैं उसे एक घंटे मे प्रीति के घर पर लाती हू." अमित, " ठीक है, thank you यार.
सीमा स्वाती को लेकर प्रीति के घर पहुचती है, प्रीति के पापा उसके गार्डेन मे काम कर रहे थे, सीमा, " नमस्ते अंकल" नमस्ते बेटा कैसी हो, शादी ठीक से  निपट गयी ,जी अंकल, सीमा ने जवाव दिया, ये मेरी फ्रेंड कानपुर से आई है, प्रीति से मिलवाने लाई थी," अंकल ," ठीक है, जiयो वो अंदर ही है. सीमा स्वाती को बोलती है की , प्रीति के पैर मे फ्रॅक्चर हो गया था,  इसलिए वो शादी मे नही पाई थी. दोनो अंदर जाती है. अमित वहा पहले से मौजूद था, गिटार बजा रहा था. स्वाती उसको व् हा देख कर थम सी जाती है, उसकी सासे तेज ट्रेन की तरह भागने लगती है, वो उस पर से ध्यान हटाकर प्रीति से हेलो  करती है.    प्रीति, " मैं और अमित function  की तैयारी कर रहे थे. चार हफ़्ते मे है और मेरी ये हालत हो गयी, कोई बात नही तुम ठीक हो जयोगी, सीमा ने प्रीति से कहा, स्वाती और अमित बस एक दूसरे से आँख मिचोली खेल रहे थे, सीमा अमित को इसरा करती है. सीमा," तुम लोग practice करते रहो हम भी सुन लेंगे"  
अमित स्वाती की तरफ देखते हुए गाता है," चेहरा है या चाँद खिला है,जुल्फ घानेरी छा है क्या, सागर जैसी आँखो वाली ये तो बता तेरा नाम है क्या."
सीमा  मंद मंद मुस्कुराती है, स्वाती, बस अपनी धड़कनो को थाम के बैठी थी, की कही अमित समझ ना जाए. कुछ देर ऐसी ही दोनो की आँखो से घूफ़्तगू होती रही.
चलो स्वाती जाने का टाइम हो गया, सीमा और स्वाती प्रीति को bye बोल कर बाहर निकल जाती है, अमित भी उनके पीछे आता है/
 अमित पीछे से आवाज़ देता है, सीमा रूको, सीमा पलट कर रुक जाती है, स्वाती भी.
अमित," मुझे स्वाती से कुछ बात करनी है, सीमा, " ठीक है कहकर पीछे जाने लगती है, स्वाती उसका हाथ पकड़ लेती है, और बोलती है, " जो कहना है, सीमा के सामने कहो"
अमित, "ठीक है, मैं नही जनता मुझे क्या हुया है पर जब से तुमको देखा है दिल कुछ बैचैन सा है. तुमसे मिलने ,तुमसे बात करने के लिए परेशन सा हू,
फिर लंबी सांस लेते हुए कहता है, मुझे नही पता ये प्यार है या कुछ और;  पर ऐसा लगा की तुमसे नही मिला तो शायद ज़िंदगी ख़तम हो जाएगी, ईसीलिए पागलो की तरह तुम्हारे पीछे पड़ गया.
स्वाती चुपचाप सुन रही थी. उसे क्या जवाव देना है शायद ये सोच रही थी. 

सीमा बोली," चलो, चलते चलते बात करते है, यहा ज्यदा देर खड़ा होना अच्छा नही है. सब चलने लग जाते है/
अमित भी चुप हो गया, उसे समझ नही आ रहा था अब आगे क्या कहे, बहुत सारी बाते रात भर सोची थी, पर कुछ याद नही आ रही थी. सब चुप थे,  

अमित फिर से बोला, " मुझे नही पता ये लोवे अट फर्स्ट साइट है या नही, लेकिन जो भी है पर क्या हम इसकी सुरुआत दोस्ती से कर सकते है. क्या  तुम मुझसे दोस्ती करोगी ? "
स्वाती समझदारी से जवाव देती है, ",अगर तुम्हे ही नही पता ये क्या है तो मैं कैसे तुमसे दोस्ती कर लू, अगर दोस्ती करनी है तो सिर्फ़ दोस्ती, फिर उसके आगे कुछ नही. अगर ये प्यार है तो इंतज़ार करो, क्कियोकि मैं love at first sigh मे बिस्वास नही करती हू, ये एक bubble की तरह होता है जो कुछ ही दिन मे बर्स्ट हो जाता है.

अगर प्यार सच्चा है तो किस्मत हमे ज़रूर मिलाएगी. तब तक ना तो तुम मुझे मिलने की कोशिश करोगे और नi ही फोन करोगे, नi ही मेरे शहर आयोगे.
अमित, " लेकिन मैं ऐसे कैसी
स्वाती, " ऐसे ही हमे पता चलेगा, कि ये एक bubble है या फिर सच मे बारिश है."
अमित, " तो तुम मेरी परीक्षा ले रही हो,
स्वाती, " नही, वक्त को हमे मिलाने का मौका दे रही हू, हमे उस मुकाम पर पहुचना होगा जहाँ हमारी किस्मत खुद हमे मिलाए"
अमित, " अगर नही मिलाया तो, कोई time limit तो होना चाहिए.
स्वाती, " नही मिलाया तो तुम अपने रास्ते और मैं अपने, वक्त तो खुद ही अपना समय decide करेगा, चलो सीमा,

Bye अमित, तुमसे मिल कर अच्छा लगा

अमित वही खड़ा रह गया

                                                                                 कहानी अभी बाकी है, अगले हफ़्ते मिलेंगे

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