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Showing posts from 2016

पिंजड़I

ये है एक लड़की रूपा की कहानी, सुनहरे सपनो से भारी एक भरे पूरे परिवार मे पली रूपा, बेबाक और सच्ची, सबको प्यार करने वाली. उसका स्वाभाव ही ऐसा था था की जो कोई भी मिलता है, वो ही उसका दोस्त बन जाता था , फिर चाहे वो बच्चा हो या बूढ़ा. रूपा का परिवार बहुत ही बड़ा था, चार मजिला बिल्डिंग के उसके दादाजी के घर पर;  वो और उसके मम्मी पापा, बड़ा भाई और छोटी बहेन  के साथ सबसे  नीचे वाले फ्लोर पर अपने दादा दादी के साथ रहती थी. उसके उपर की मजिलो पर उसके एक तायु और एक पर उसके चाचा का परिवार  रहता था. उसके तायु के चार और चाचा के तीन बच्चे थे. इसलिए बहुत बड़े परिवार मे रहती थी जहा सब उसे प्यार करते थे, उसके दोस्त भी काफ़ी थे. ग्रॅजुयेशन ख़तम होने को था इसलिए parents ने शादी के लिए लड़के देखना शुरू कर दिया था. किसी जान पहचान के ज़रिए लॅंडन मे रहने वाले लड़के से बात चली और शादी भी तै  हो गयी . सारी लड़कियो की तरह इसके भी शादी को लेकर कुछ ख्याब थे, वो भी अपनी नयी ज़िंदगी के नये नये सपने बुन रही थी. कुछ महीनो बाद उसकी शादी भी हो गयी और वो शादी करके लॅंडन आ गयी. 2 बेड रूम का सुंदर सा घर मे आकर रहने लगी. 

10 रुपये का नोट

ये कहानी दो सहेलियो की है जो 7th class मे एक दूसरे से मिली थी. रीमा और रिया जैसे दो बहने हो, स्कूल मे हर वक्त साथ रहती थी, कई बार तो लोग उन्हे जुड़वा बहनो के नाम से चिढ़ते थे, लेकिन दोनो की बहुत अलग घरो के महॉल से वास्ता रखती थी. रीमा एक बहुत rich family से थी, उसके पापा की newspaper printing press थी, अकेली लड़की थी, उसके पापा ने ही उसके तीन चचेरे भाईयो को पढ़ाया लिखाया और अपने साथ काम  पर लगाया था. रीमा के चाचा का सारा परिवार उनके साथ ही रहता था, सबको अलग अलग मंज़िल दे रखी थी, इस नाते उसका घर भी उसकी लोकॅलिटी मे सबसे बड़ा था. जबकि रिया, एक बहुत ही साधारण सरकारी कर्मचारी की बेटी थी, जो उसकी फीस भी मुस्किल से भर पता था. लेकिन पढ़ने मे रिया बहुत अच्छी थी और उसका स्वाभाव भी सबसे अलग था. दोस्ती कहा ये differences  देखती है, रीमा तो सिर्फ़ नाम के लिए ही पढ़ती थी, लेकिन जब से रिया से दोस्ती हुई थी वो हर काम मे रिया का साथ देती थी.  रिया घर का बना खाना लाती थी तो रीमा पैसे लाती थी कॅंटीन से खाने के लिए, दोनो मिलकर एक दूसरे का खाना खाती थी. रिया उसका खरीदा खाना खाने मे थोड़ा संकोच करती थी

वो रिक्शेवाला

अकीला एक बहुत ही सभ्य और सम्र्ध परिवार मे पाली बढ़ी थी. पापा बैंक मे मॅनेजर थे और माँ स्कूल मे प्रिंसिपल,उस घर एकेली लड़की थी ,एक बड़ा  भाई था इसलिए लाड़ प्यार और पैसो के झूले मे खेलती रहती थी. वो जो चाहती थी वो उसे मिलता था, लेकिन वो कुछ अलग ही .व्यक्तिव थी. बहुत ही एमोशनल, दुनिया को अपनी अलग नॅज़ारो से देखने वाली, दूसरो के दर्द मे दुखी होने वाली और सबको समझने का प्रयास करने वाली. इसलिए भी वो हर जगह सबकी फॅवुरेट थी.               एक दिन वो कॉलेज से बाहर आकर घर जाने के लिए रिक्शा लिया. जिसे एक बूढ़ा चला रहा था, बहुत ही कमजोर से दिखाने वाला वो रिक्शा वाला, चुपचाप चले जा रहा था. अकीला को तरस भी आ रहा था पर उसे पता था की ये उसकी कमाई का साधन है. इसलिए अपने ध्यान उसने अपनी बुक पर लगा दिया, वो बुक खोल कर पढ़ने लगी. थोड़ी दूर चलाने के बाद उस रिक्शेवले ने उससे पूछा, " किस क्लास मे हो? " अकीला ने जवाव दिया,"  B A second year , उसने उपर देखा उसे लगा की इसे second year कैसे समझ आएगा इसलिए वो फिर से बोली, " दूसरा साल है कॉलेज मे ."     " अच्छा " उसने कहा

आत्माचेतना - आगे की कहानी

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मोहिनी अपना समान पैक करके हिमालया के एक छोटे से गाँव बिंसार मे रुकना तै किया/ दो तीन तक बस वो उसी गाँव मे रही, सुबह आराम से उठना ,आस पास घूमना और गाँव के लोगो से बात करना, नॉवेल पढ़ना बस इतना ही किया, फिर उसे लगाने लगा की वो बहुत अकेली है और जिस खोज मे वो निकली थी वो उसे नही मिल रही है. उस गाँव मे बहुत शांति थी, लेकिन वो जिस मन की शांति के लिए आई थी; वो नही थी, फिर कुछ दिन बाद उसने एक दूसरे गाँव जाने का फ़ैसला लिया, वो जागेस्वर नाम के एक गाँव मे गयी; वाहा शिव जी का बहुत बड़ा मंदिर था और बिंसर से थोड़ा ज़्यादा बसा था. शांति की खोज मे वो इधर उधर भटक रही थी, शायद किसी को ढूँढ रही थी जो उसके सवालो का जवाव दे सके पर, वो कौन है? कहा है ?ये उसे नही पता था .  ईसी उदेस्य से उसने शिव जी के मंदिर रोज जाना शुरू किया.  वो रोज सुबह शाम मंदिर जाती थी वहा घंटो बैठी रहती थी ,कभी लोगो से बात करती तो कभी बुक पढ़ती रहती थी. आलम  ये थे की सुबह पाँच बजे मंदिर मे घंटी बजाते ही वो उठ जाती थी, एक दिन इसी तरह जल्दी उठकर वो मंदिर चली गयी, मंदिर मे पीछे की तरफ घमते हुए उसने पेड़ो के पीछे कुछ लोगो को बैठे देख

आत्माचेतना

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मोहिनी मुंबई मे रहती है.  वो एक multinational कंपनी मे काम करती है उसके दो बेटे है , 16 (आदिल) और 18 (अनुराग) बर्स के और उसका पति सरकारी office मे कार्यरत है. उसकी लाइफ सुबह ६बजे से शुरू होती है और रात को १० बजे तक वो घड़ी के तरह  भागती रहती है. उसके पास अपने लिए कुछ टाइम ही नही होता है. पति, घर ,बच्चे ,रिस्तेदार और ऑफीस बस इनकी ही सेवा मे दिन रात लगी रहती थी. लेकिन एक दिन जब वो ऑफीस से आ रही थी, उसके साथ एक accident हो जाता है, उसके आगे चल रही दो गाडियो का बहुत भयाभय crash हो जाता है , मोहिनी अपनी कार का ज़ोर से ब्रेक लगती है और किसी तरह अपनी को एकदम उन दोनो गाडियो के पास जाकर रोक लेती है लेकिन वो अपनी मौत को अपनी आँखो के सामने देख कर घबरा जाती है, उसे यकीन ही नही हो रहा था की वो बच गयी है ऐसा लग रहा था की जैसे वो एक बहुत गहरे सपने से जाग गयी हो. उसकी कार के आगे पड़े खून से लथपथ शरीरो को वो अपनी कार मे बैठ कर देख रही थी और अपनी ज़ीवन की सारी story उसके दिमाग़ मे flashback हो रही थी, किसी तरह पुलिस के आने के बाद वो वहा से निकल कर अपने घर आ जाती है, नहाने के बाद अपने कमरे मे बैठी थी त

पहला प्यार - आगे की कहानी

पहला प्यार - आगे  की कहानी ६ साल बीत गये------------------- स्वाती ने अपनी Engineering  की पढ़ाई पूरी कर ली थी और एक multinational company मे काम करने लगी थी.  वो Delhi मे अपनी कुछ फ्रेंड्स के साथ गर्ल्स होस्टल मे रहती थी. वो शायद अमित को भूल सी गयी थी , पढ़ाई और बिज़ी रुटीन के कारण अमित की यादे कुछ धुँधला सी गयी थी. एक उसकी friend किसी concert  मे जाने के लिए tickets लाती है और उसको भी जबारजस्ति ले जाती. कॉन्सर्ट के गेट पर सब लोग लाइन लगाए थे, अंदर जाने के लिए, स्वाती भी अपनी दोस्तो के साथ खड़ी थी; तभी वहा कॉन्सर्ट का famous singer आता है और बीच मे बिछे रेड कार्पेट पर ,अपनी कार से उतरता है. वहा लोग उसे देखने के लिए आगे पीछे भागने लग जाते है. ईसी भागा दौड़ी मे स्वाती को कोई धक्का देता है और वो आगे की तरफ गिर जाती है और उसका मोबाइल सिंगर के पैरो के पास गिर जाता है. वो उसे उठती है और सीधे खड़ी होती है, तो उसे सिंगर को अपने पास खड़े पाती है; वो दोनो एक दूसरे को कुछ देर देखते रह जाते है, ऐसा लगता है की शायद वक्त थम सा गया है और सब लोग अचानक से गायब हो गये हो, वो अमित था, लेकिन दाढ़ी ह

पहला प्यार

                                                         पहला प्यार स्वाती एक बहुत ही सीधी , सादी नादान सी लड़की थी . बड़ी बड़ी आँखे और मासूम सा चेहरा;     वो भी जवानी की उस दहलीज़ पर कदम रख चुकी थी , जॅहा लड़को से बात करने मे   डर भी लगता   था और खुशी भी मिलती थी / वो पहली बार अपने मम्मी पापा के बिना ट्रेन मे सफ़र कर रही थी . स्वाती अपनी बचपन की सहेली सीमा के घर उसकी बहन की शादी मे जा रही थी .  सीमा और स्वाती बहुत ही पक्के दोस्त थी . स्वाती के पापा का कानपुर transfer होने की वजह से वो   अलीगढ़ को छोड़ कर चली गयी थी . सीमा के घर मे भी स्वाती को सब   बहुत पसंद करते थे . स्वाती सीमा से मिलने के लिए बहुत ही बेताब थी और मम्मी - पापा की नज़ारो की scanning के बिना 5 दिन सीमा के साथ बिताने की भी खुशी उसके चहरे पर झलक रही थी .       स्वाती जब सीमा के घर   पहुची तो सीमा ने उसे गले लगा लिया और घर मे आए सभी अपनी उमर की cousins  मे मिला